करता जो प्रीत
दिन पर दिन चले गए,पथ के किनारे गीतों पर गीत,अरे, रहता पसारे ।। बीतती नहीं बेला, सुर मैं उठाता । जोड़-जोड़ सपनों से उनको मैं गाता ।। दिन पर दिन जाते मैं बैठा एकाकी । जोह रहा बाट, अभी मिलना तो बाकी ।। चाहो क्या,रुकूँ नहीं, रहूँ सदा गाता । करता जो प्रीत, अरे, व्यथा वही पाता ।।