रिश्ता सबसे सुनहरा
ना खून का ना रिश्ता प्यार का ना ही रिश्ता है आकर्षण का फिर मैं उनको क्या नाम दू जो मुझमे मेरा व्यवहार बनकर बहते है मेरी आदतों में भी लगभग वो ही रहते है मुझमे भरा आत्मविश्वास भी वो है मेरी हर ख़ुशी उनका योगदान है मेरे माथे पर घना छाया भी वो है ये जो मेरा सौभाग्यपूर्ण जीवन है उनकी ही अप्रत्यक्ष देन है मुझे मुझसे प्यार करने की प्रेरणा भी वो दिया करते है मैं सबसे खास हूँ इस जग में ये एहसास भी कराते वो ही है मुझे परियो की कहानियो में ढूंढ़ते है मेरे चेहरे में अपना बचपन वो देखते है हमेशा मेरे पास तो रहते है पर आंखों से ओझल ही रहते है ज्यादा कुछ बोलते नहीं वो बस मुझे सुनते ही रहते है कुछ भी बोलने से पहले ही मेरे मन को वो पढ़ लेते है मुझको भी मेरी हर इच्छाओं को भी शायद मुझसे पहले वो जान लेते है मेरी हर मनोकामना को शायद उपरवाले तक वो ही पहुँचाते है मेरे तरफ आने वाले हर विपत्ति का निवारण भी वो ही बन जाते है अपना तो नहीं कह सकती उनको पर आपने से कम भी नहीं मान सकती उनसे प्यार बिलकुल नहीं करती मैं पता नहीं वो भी कितना करते है पर वो मुझे सबसे ज्यादा आंक सकते है मैं भी उन्हें सबसे ज्यादा आंक सकती हूँ ये जो एक दूसरे को आंकने का समता होता है ना जरूरी नहीं किसी भी रिश्ते में हो ही पर किसी भी रिश्ते में हो भी सकता है जिस रिश्ते में भी आंकने की समता होता है ना दुनिया का सबसे सुनहरा रिश्ता होता है