आखिरी मंजिल
आज फिर एक सांस रुकी है यहां आके, फिर एक कहानी खत्म हुई यहां आके। नजाने कितने गिले हुए बहार आंखों के सामने, पर वही आंखें रोई उस पर यहां आके। जिसे याद करने का वक्त नहीं था, आज यादे बह चली है उसकी यहां आके। सहारे के लिए बहार हाथ मिला न मिला हो, पर कांधे सबके छोड़ गए उसे यहां आके। जो कहता था सचाई ये मुश्किल है कुबुल करना, उसी हाथ ने दफन किया उसे यहां आके। रंगमंच ये दुनिया में जीने वाला साथ छोड़ गया यहां आके, धन दौलत छोड़ आया सब वही खाली हो गया यहां आके।
खुदा तेरा भाव कम होता
अगर हर इंसान अच्छा होता, तो खुदा तेरा भाव कम होता, अगर समंदर सा सबका दिल होता, तो तुजे चाहने वाला कोई ना होता, अगर सबकी झोली में गम ना होता, तो तुजे पूछ ने वाला कोई ना होता, अगर धोखा फरेब तू ना सिखाता, तो तुजे मान ने वाला कोई ना होता, अगर पैसो के खातिर तू बाजार में ना बिकता, तो पूज ने वाला कोई न होता, अगर धर्म जो तूने ना सिखाया होता, तो तुजे बाट ने वाला कोई ना होता, अगर मज़हब में तू ना बटता तो, खुदा तेरा भाव कम होता