एक उधार है
क्या कवि काल्पिनिक है? यदि कविता वास्तिविक है कविता होती क्या है? सरल होती है, जटिल होती है, महसूस होती है, मनोरंजक होती है, विख्यात होती है, भिचाड़व होती है, अकेली होती है या दीवार होती है? क्या कविता भी आघात होती है? कविता रोटी है, कपडा है, मकान है या फिर चार मीनार है क्या कविता भी, एक संवाद है? क्या कविता भी, एक उधार है? क्या कविता भी, अन्धकार है? क्या कविता समानतावाद है? एक कविता का उधार, क्या कवि बनकर ही चुकाऊँ? अगर रूढ़िवाद, मानवतावाद में समाहित हो, तो कविताओं का उधार दोगुना चुकाऊँ कविता अतीत है, कविता प्रमाण है, क्या कविता ही कवि का स्वाभिमान है? क्या कविता ही, कवि का उधार है? क्या कविता आज़ाद है? मेरे मौहल्लें में, एक कवि का मन बस युहीं आघात है, बस ऐसी ही एक कविता का बहिष्कार है क्या कविता लिखना भी एक उधार है? क्या कवि बनना ही शर्मशार है? मेरे मौहल्लें का तो यही विचार है, की, कविता लिखना सिर्फ एक उधार है