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Shivam Dwivedi



शिवम द्विवेदी की कविताएँ


अनहद प्रेम

वीणा के सरस्वती नाद सी तुम, 
समूचे विश्व में अपवाद सी तुम, 
कृष्ण बंसी का स्वर हो तुम्हीं, 
तुम्हीं धरती कि हो मन्दाकिनी, 
सूर्य से जैसे प्रवाहित हो विभा, 
तुम सौर मंडल में हो जैसे धरा, 
प्रेम से उत्पन्न कोई पावन पवन हो, 
तुम ब्रह्म का एक अलौकिक सृजन हो, 
वाटिका के पुष्प सम सुरभित सुगंधित, 
तुम प्रेम के अमरत्व करती महीमामंडित, 
मैं प्रशंसक अनुराग का,
होता विकल जोहते विराग को, 
अकेलेपन से एकांत नामक गाँव में मैं जा रहा हूँ, 
स्पन्दन पर विराजो सखी मेरे पास आओ, 
हाथ थामो सखी मेरा मुझमें समाओ, 
तुम्हारी प्रज्ञा के शर ने करा व्याकुल हृदय मेरा, 
इस हृदय को मैं तुम्हें उपहार करता हूँ, 
ऐ सखी मैं तुमसे अनहद प्यार करता हूँ







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