जूड़े का पिन by पूजा गौतम
तुम्हारे बालों की सफेदी में एक ठहराव सा दिखाई देता है लड़ती झगड़ती इतना हो और मैं समान शब्दों से तुम्हारे रुष्ठता की हामी भरता हूं मुख की लालिमा चंद्रग्रहण है मेरे लिए आंखों की ज्वालें कोमल हृदय को ध्वस्त कर देती है मैं फिर भी मौन का आवलंबन करता हूं.. साड़ी का पल्लू संभाले अकस्मात मुस्कुरा देती हो और मैं प्रेम की गोताखोरी करता तुम्हारे बालों समान कोई कड़ी ढूंढता हूं तुमसे फिर से बंधे रहने की।।