जन्मदिन क्या है ? by अंकित अरोरा
*जन्मदिन* उम्र का एक वो पड़ाव है जो कहता है, रुक, थम, ज़रा अब तक की उम्र का तकाज़ा कर। क्या खोया, क्या पाया? जो आगे पाना है वो कैसे पाना है, वो सोच ? *पर उससे पहले* जो अब तक साथ हैं उनका *शुक्रिया कर*। उनके साथ थोड़ा *वक़्त बिता*, थोड़ा *दिलासा दे*। अब तक तुमने मेरा साथ दिया, ये वादा है मैं भी तुम्हारा साथ दूंगा। मैं मशरूफ भी हूं, तब भी *तुम्हें हक़ है* की तुम मुझे किस भी पल अपने किसी सोच, दुख, तकलीफ पे चिंतन करने के लिए रोक सकते हो। तुमने जो साथ दिया वो कीमती है, तुम्हारा बेहद शुक्रिया।