पार समुंदर करना है तो.. by विकाश जावलिया
बहुत बहाने हो गए हैं अब तो निश्चय करना होगा, पार समुंदर करना है तो पग नौका में धरना होगा। डरना होगा नहीं तुझे अब, उन लहरों को डरना होगा, जिन लहरों ने तुझे डराया उन पर तांडव करना होगा। लहरों को संगीत बनाने का तो निश्चय करना होगा, पार समुंदर करना है तो पग नौका में धरना होगा।1 डरना होगा नहीं तुझे अब, उन तूफानों को डरना होगा, जिन तूफानों ने तुझे डराया उनको मुँह में भरना होगा, वायुदेव बन तूफान रोकने का तो निश्चय करना होगा, पार समुंदर करना है तो पग नौका में धरना होगा। 2 डरना होगा नहीं तुझे अब, उन चट्टानों को डरना होगा, जिन चट्टानों ने तुझे डराया उन पर तुझको चढ़ना होगा, चट्टानों को गज बनाने का तो निश्चय करना होगा, पार समुंदर करना है तो पग नौका में धरना होगा।3 डरना होगा नहीं तुझे अब, मझधारों को डरना होगा, मझधारों ने तुझे डराया अब उनमें तुम्हें उतरना होगा, सागरतल से मोती लाने का तो निश्चय करना होगा, पार समुंदर करना है तो पग नौका में धरना होगा। 4 डरना होगा नहीं तुझे अब, तेरे डर को मरना होगा, भाग्य रोना छोड़कर अब संकल्प दृढ़ करना होगा, विजय नगाड़ा बजवाने का तो निश्चय करना होगा, पार समुंदर करना है तो पग नौका में धरना होगा। 5 बहुत बहाने हो गए हैं अब तो निश्चय करना होगा, पार समुंदर करना है तो पग नौका में धरना होगा।