उल्लास by सुभद्राकुमारी चौहान
शैशव के सुन्दर प्रभात का मैंने नव विकास देखा। यौवन की मादक लाली में जीवन का हुलास देखा।। जग-झंझा-झकोर में आशा-लतिका का विलास देखा। आकांक्षा, उत्साह, प्रेम का क्रम-क्रम से प्रकाश देखा।। जीवन में न निराशा मुझको कभी रुलाने को आयी। जग झूठा है यह विरक्ति भी नहीं सिखाने को आयी।। अरिदल की पहिचान कराने नहीं घृणा आने पायी। नहीं अशान्ति हृदय तक अपनी भीषणता लाने पायी।।
मुकाम by अमृता प्रीतम
क़लम ने आज गीतों का क़ाफ़िया तोड़ दिया मेरा इश्क़ यह किस मुकाम पर आ गया है देख नज़र वाले, तेरे सामने बैठी हूँ मेरे हाथ से हिज्र का काँटा निकाल दे जिसने अँधेरे के अलावा कभी कुछ नहीं बुना वह मुहब्बत आज किरणें बुनकर दे गयी उठो, अपने घड़े से पानी का एक कटोरा दो राह के हादसे मैं इस पानी से धो लूंगी...