मां का दर्द by विशाल राजपूत
ककतनी उदासी थी उनकी बुजुगद आंखो में जो कहना चाहा रही थीं, की koi तो हाल पूछलो मेरा सालों हो गए इंतजार में बैठे , ये सोचते सोचते की आज आएगा और ले जाएगा मेरा बेटा एसा कौन सा जख्म हों गया था मेरे को श्जसे देखते ही वो मरता छोड गया था मेरे को एसी कौन सी कमी छोडी थी मैंने अपने लाड में जो तुझे तरस भी ना आया अपनी मां के प्यार में मशकायत नहीं कर रहीं बस दखु ी थीं बुजुगद तूभी होगा इस बात की खुशी थी।
माँ by अंकित अरोरा
कितने जतन कर कर के, उसने हमको पाला है, कठिन समस्यायों में करके जतन, हमको बाहर निकाला है। कहे कटु वचन, रही प्रेम मगन, वो पावन् प्रेम की माला है। रहें याद हमें, वो त्याग उनके, जिनको प्यार से हम कहते *माँ*। आओ आज करें उनको अर्पण, अपना प्रेम, श्रद्धा और नमन, करें थोड़े जतन, लगा तन मन धन, करो थोड़ा वक़्त और स्नेह अर्पण।
मां by कीर्ति पाण्डेय
कई हड्डिया टूटने जितना दर्द सहकर एक मां जन्म देती है बच्चे को अपनी कमर तोड़कर पिता पूरी करता है ख्वाहिश अपने बच्चे की बच्चों की ख्वाहिश पूरी हो इसलिए अपनी ख्वाहिशों को भुला देते हैं मां-बाप लेकिन वही बच्चे कितनी आसानी से कह देते है ना किया ही क्या है आपने हमारे लिए