ग़ज़ल - महिला सशक्तिकरण by अक्षिता गुप्ता
ख़ुद को बना चट्टान तू, कर माह को रमज़ान तू । माता, बहिन, पत्नी, पुत्री, ख़ुद की बना पहचान तू । शमशीर ख़ुद को तू बना, डर तोड़ बन तूफान तू । है देवियों का रूप तू, गीता एवं कुरआन तू । जो मौत को भी मात दें, उस देश का गुन-गान तू । हैवान का भुगतान हो, आगे बड़ा फ़रमान तू।