सारे जहां से अच्छा
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हम बुलबुलै है इस की ये गुलसीतन हमारा सारे जहां से अच्छा घुरबत में हो अगर हम रहता है दिल वतन में समझौ वही हम भी दिल है जहान हमारा: पर्वत वो सब से ऊंचा हमसाया अस्मन का वो संतरी हमारा वो पास्बन हमारा: गोदी में खेलती हैं की हज़ारों नदियां हैं गुलशन है जिन के बांध से रश्क-ए-जान हमारा ऐ अब रौद गंगा वो दिन में याद तुझको उतरा तेरे किनारे जब कारवां हमारा मज़हब नहीं सिखता आपस पुरुष बेयर रखना हिंदवी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारा युनान ओ मिसर ओ रोमा सब मिल गए जहान से अब तक मगर है बाकी नाम ओ निशान हमारा कुछ बात है केह हस्ती मिलाती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौर ए जमां हमारा इकबाल कोई महरम अपना नहीं जहान में मलुम क्या किसी को दर्द ए निहन हमारा सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हम बुलबुलैन है की ये गुलसीतन हमारा